खूब बारिश हो रही है, आसमान पूरा काला है. इतना तो नहीं बरसता था यहाँ का आसमान.... कभी नहीं देखा इन दो तीन वर्षों में यूँ जब तब रोते हुए बादलों को. फुहारें आत थी, चली जाती थीं. एक झोंका आया, धरती तर हुई और पुनः धूप खिल आई. लेकिन इस बार तो घिरा ही रहता है गगन, काले बादल मंडराते ही रहते हैं और बरसता रहता है अम्बर. जिस सप्ताह अनामिका यहाँ आई हुई थी, यही हाल था, हम लोगों का घूमना बारिश ने कुछ हद तक तो नियंत्रित कर ही दिया था.
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सुबह काले बादलों ने डरा ही दिया था, फिर हमने हिम्मत की और निकल पड़े
नेतुरहिस्तोरीसका म्यूजियम की ओर. आज यहीं हमारी क्लास होनी थी सुबह नौ बजे से. सात बजे निकल लिए, क्या पता इस बारिश में कहाँ फंस जाएँ, सो समय से पहुँचने के लिए थोड़ा समय लेकर निकलना ही ठीक रहेगा… बस और फिर क्रमशः दो ट्रेन बदल कर पहुंचे हम भींगते-बचते गंतव्य तक… शायद ऐसी बारिश में पहली बार निकलना हुआ यूँ, क्लास तो बहुत समय से जा रहे हैं, स्नो फॉल में निकले हैं पर ऐसी बारिश में छाता ताने कभी निकलना पड़ा हो, याद नहीं…!
दिन भर यूँ ही बीता लेक्चर सुनते हुए. क्लास समाप्त होने पर भी आसमान का रूप वही था, बारिश थम गयी थी पर बरसने की सम्भावना बनाने में काले बादल लगे हुए थे. आसमान बरस रहा था, मेरे भीतर भी एक उदासी सी छाई थी जो आखों से बरसना चाहती थी, कुछ बूंदा-बांदी हुई भी फिर हमने अपने आप को इधर उधर उलझा लिया.
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आज की भोर भी कुछ कुछ कल जैसी ही है, बस काला नहीं है अम्बर आज… कुछ किरणों ने मन से चित्रकारी की है आकाश के कैनवास पर. आज भी बरसना ही है बादलों को… सो उसी की तैयारी में व्यस्त दिख रहा है बादलों से पटा अम्बर!
जीवन यात्रा में कितने ही पड़ाव हैं, कितनी ही यात्राएं हैं, कितने ही सपने हैं, कितनी ही योजनायें हैं, कितनी तो शिकायतें हैं जीवन से…. आखिर मोल क्या है इन सबका? बरसते माहौल में बूंदों का मिट जाना दिख ही कहाँ पाता है, कि खुद को ज़रा सा नियंत्रित करने की सम्भावना जन्मे… अपने मन के अंधेरों की खातिर कोई दिया जला पाएं… ज़िन्दगी तो यह अवसर देने से रही, स्वयं ही कोशिश करनी है.
कविता खो गयी सी लगती है, भ्रमण की कोई कहानी लिखने का मन नहीं है और फिर भी लिखे जा रहे हैं जाने क्या क्या…!
16 टिप्पणियाँ:
man udas karati barsaat .....atyant marmsparshi ....!!
बहुत दुःख देती है रीती हुई प्याली.....
मन को छू जाने वाली पोस्ट..
सस्नेह
अनु
ये सत्य कितना कटु होता है ..हैं न ?
जिन्दगी तो असीम है मृत्यु ही क्षणिक है पर उस महाजीवन से परिचय करना होगा..अमृत का घट भीतर भरना होगा..
मर्म स्पर्शी पोस्ट
सादर
क्षणिकता का सौन्दर्य ही
मेरी थाती है...वाह!
तेरा कोई भरोसा नहीं
आज है लबालब भरी हुई
अगले ही क्षण तू
रीत गयी प्याली है
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"ज़िन्दगी हूँ
सच है एक रोज मौत में बदलने वाली हूँ
आज भरी हुई तो कल
रीत गयी प्याली हूँ
बहुत सुन्दर सार्थक सृजन !
latest post: क्षमा प्रार्थना (रुबैयाँ छन्द )
latest post कानून और दंड
कितना अच्छा लिखा है आपने।
बहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति.हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!
कभी यहाँ भी पधारें
आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल {बृहस्पतिवार} 19/09/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" पर.
आप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा
बेहतरीन प्रस्तुति
downloading sites के प्रीमियम अकाउंट के यूजर नाम और पासवर्ड
कल 19/09/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
dil ke kareeb lagi post...
यही तो एक सत्य है. हमरी चाह-और अनचाह से परे. नीतिकार जो भी कहें इसपर. बाद के समय से अच्छा है देते चलें वर्तमान को सब कुछ. बहुत बढ़िया पोस्ट.
उम्दा प्रस्तुति |
आशा
behad umda prastuti.
sadar.
तू इन कड़वाहटों में कोई मिश्री तो घोल रे! ... essay aur poem dono hi bahut achhi lagi.
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